भारत में लोन कितने प्रकार का होता है? Type of Bank Loans in India

भारत में लोन कितने प्रकार का होता है? Type of Bank Loans in India

किसी चीज को खरीदने के लिए, किसी जरूरी काम को करने के लिए, बिजनेस को बढ़ाने के लिए या किसी पर्सनल काम के लिए किसी बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशंस के लिए जाने वाले फाइनेंसियल हेल्प को Loan या फिर कर्जा कहा जाता है। जिसके बदले में लोग बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट को EMI के रूप में ब्याज के साथ लोन का पूरा अमाउंट(Amount) वापस कर देते हैं। तो दोस्तों LoanPlan.in में आपका स्वागत है आज हम बात करने वाले हैं कि भारत में बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट कितने तरह का लोन देते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।

समय सीमा (Time Period) के हिसाब से लोन तीन प्रकार के होते हैं। जो कि तय करता है कि आप लोन के पैसे कितने दिनों में वापस करेंगे।

  1. शॉर्ट टेर्म लोन: 1 साल से कम समय
  2. मीडियम टर्म लोन: 1 साल से 3 साल के बीच का समय
  3. लोंग टर्म लोन: 3 साल से ज्यादा का समय

चलिए अब बात करते हैं कि भारत में बैंक की इंस्टिट्यूट कितने तरह का लोन देते हैं।

1. पर्सनल लोन (Personal Loan)

पर्सनल लोन या फिर गैर जमानती लोन का मतलब होता है खुद के लिए लिया हुआ लोन वैसे तो लोन सब खुद के ही ले लेते हैं। लेकिन पर्सनल लोन का मतलब होता है कि अपने पर्सनल कामों के लिए लोन लेना जैसे कि बच्चों की स्कूल की फीस भरनी हो, किसी का इलाज कराना हो, किसी को महंगे गिफ्ट देनी है या फिर घर का कोई सामान वगैरह लेना हो इत्यादि।

पर्सनल लोन की हर बैंक की अपनी अपनी ब्याज दर तय होती है जैसे आज के समय में पर्सनल लोन के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 12% से लेकर 16% सालाना इंटरेस्ट वसूल रहा है तो एचडीएफसी बैंक 10% से लेकर 20% तक सालाना इंटरेस्ट वसूल रहा है।

यह भी जान लेना जरूरी है की पर्सनल लोन का ब्याज दर दूसरे लोन के मुकाबले में ज्यादा होती है। वैसे लोन आपको पर्सनल लोन देते समय ज्यादा डॉक्यूमेंट नहीं मांगते हैं वह बस आपकी सैलरी देखते हैं और लोन को इसु कर देते हैं। पर्सनल लोन आपको 5 साल तक के लिए मिल सकता है।

2. गोल्ड लोन (Gold Loan)

गोल्ड लोन बैंक में गोल्ड रखने के बदले में कैश लेने वाला प्रोसेस होता है। आपको गोल्ड बैंक के लॉकर में रखना पड़ता है इस तरह के लोन आपको जमा किए गए हुए गोल्ड की क्वालिटी और प्राइस पर मिलते हैं।

ज्यादातर यह देखा गया है कि बैंक आपको गोल्ड की कीमत की 80% तक का लोन दे देते हैं। गोल्ड लोन आमतौर पर लोग बहुत आवश्यक काम को पूरा करने के लिए लेते हैं इस लोन पर लिए जाने वाले ब्याज दर पर्सनल लोन के मुकाबले बहुत ही कम होता है।

आज के समय में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया गोल्ड लोन पर 11% सालाना इंटरेस्ट वसूल रहा है जबकि एचडीएफसी बैंक 10% तक इंटरेस्ट वसूल रहा है।

3. लोन अगेंस्ट सिक्योरिटी (Loan Against Security)

सिक्योरिटी के बदले में मिलने वाला लोन यानी लोन अगेंस्ट सिक्योरिटी। इसमें बैंक आपके सिक्योरिटी पेपर अपने पास रख कर लोन देता है। मगर सवाल यह उठता है कि सिक्योरिटी पेपर क्या होते हैं? अगर आपने म्यूच्यूअल फंड, इंश्योरेंस स्कीम में पहले से ही इन्वेस्ट किया हुआ है तो यही आपके सिक्योरिटी पेपर होते हैं जिसके बदले में बैंक आपको लोन दे देता है।

इन पेपर की वैल्यू होती है आप अगर लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं तो बैंक आपके सिक्योरिटी पेपर को ज़प्त कर लेता है और बाजार में भेज देता। आप इन सिक्योरिटी पेपर को बैंक में गिरवी रख सकते हैं बैंक आपको आपके इन पेपर के आधार पर ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देता है ओवरड्राफ्ट का मतलब होता है की जितने पैसे आपके अकाउंट में उससे ज्यादा पैसे निकालने की सुविधा अगर आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस है तब भी आप अपने अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं इसी को और ड्राफ्ट कहा जाता।

4. प्रॉपर्टी लोन (Properties Loan)

प्रॉपर्टी लोन वालों ने जो बैंक आपको आपके प्रॉपर्टी के कागजात को गिरवी रख कर दे देता है यह ज्यादा से ज्यादा 15 साल तक के लिए मिल सकता है आमतौर पर जो प्रॉपर्टी की कीमत होती है उसका 40% से 60% तक का लोन मिल जाता है।

5. होम लोन (Home Loan)

घर खरीदने के लिए जो लोन लिया जाता है वह होम लोन कहलाता है आप सिर्फ घर बनाने के लिए ही लोन नहीं लेते हैं बल्कि आप घर बनाने की कीमत मकान का रजिस्ट्रेशन स्टाफ ड्यूटी वगैरा के खर्चे को जोड़ करके बैंक से लोन ले सकते हैं। बैंक आपको कुल खर्चे की राशि का 75% से 85% तक का लोन दे सकती है।

बाकी पैसे का जुगाड़ आपको घर बनाने के लिए खुद ही करना होता है। मान लीजिए कि आपने घर बनाने के लिए एक प्लोट लिया जिसकी कीमत 6 लाख है तो आप बैंक को सिर्फ 6 लाख का 30% यानी के 1,80,000 रुपए देंगे और बाकी की रकम आप धीरे-धीरे झुकाते रहेंगे होम लोन के रकम को चुकाने का समय 5 साल से 20 साल तक हो सकता है।

MoneyTap से लोन कैसे ले?

होम लोन के शर्तों में ब्याज के अलावा कुछ फीस भी शामिल होती है कैसी प्रोसेसिंग फीस, एडमिनिस्ट्रेटिव चार्जेस, लीगल फीस, एसेसमेंट फीस इत्यादि।

6. एजुकेशन लोन (Education Loan)

हर बच्चे के नसीब में नहीं होता है कि वह अपने मनचाहे इंस्टिट्यूट या फिर कॉलेजेस ने पढ़ पाए जैसे कि कोई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना चाहता है तो उसे पैसे की दिक्कत आ सकती है वहां की फीस कितनी है कि वहां पर जाकर पढ़ाई करने का सोचना काफी मुश्किल काम है। ऐसी परिस्थिति में वह बैंक में एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई कर सकता है बैंक एजुकेशन लोन देने से पहले उसकी Repayment को Sure करता है।

देखा गया है कि लॉन सिर्फ फनी छात्र को दिया जाता है जो इसको वापस करने की क्षमता रखते हैं बच्चों की लोन वापसी क्षमता की जांच बैंक दो तरीके से करती हैं या तो उनके अभिभावक के आय को देखकर देते हैं या तो लोन लेने वाले बच्चे किस यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं वहां से पढ़कर वह कमाएंगे या नहीं कमाएंगे वहां के कैंपस सिलेक्शन के Retio क्या है यह सब देख कर ही बैंक आपके लोन को अप्रूव करती हैं।

पढ़ाई खत्म होने के बाद स्टूडेंट रीपेमेंट कर सकता है। एजुकेशन लोन लेने के लिए गारंटर की भी जरूरत पड़ती है गारंटर लोन लेने वाले के अभिभावक या फिर रिश्तेदार भी हो सकते हैं आज के समय में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 7.50 लाख से ऊपर लोन के लिए 10% और 7.50 लाख तक की एजुकेशन लोन के लिए 9.95% इंटरेस्ट रेट लेता है।

7. वाहन या कार लोन (Car Loan)

बैंकॉक सरकार खरीदने के लिए लोन के तौर पर तरह-तरह की स्कीम देते रहते हैं ये लोन बाकी दूसरे लोन की तरह ही अलग-अलग समय के लिए फिक्स या फ्लोटिंग रेट पर दिया जाता है। फिक्स रेट का मतलब होता है फिक्स इंटरेस्ट रेट जब आप लोन ले रहे होते हैं तो उस समय जो ब्याज दर लागू होती है वही ब्याज दर पूरे लोन को चुकाने तक लागू रहती है। फ्लोटिंग रेट वह रेट होता है जो समय आने पर बदल भी सकती है यह कम या ज्यादा भी हो सकती है

उसी हिसाब से आपका लोन का इंटरेस्ट रेट कम या ज्यादा होता रहता है बैंक ऑफ़ को लोन देने से पहले ही पूछ लेती है कि आप फिक्स रेट पर लोन लेना चाहते हैं या फ्लोटिंग रेट पर लोन लेना चाहते हैं जब तक लोन का पूरा पेमेंट नहीं हो जाता तब तक कार का मालिकाना अधिकार लोन देने वाले बैंक का ही होता है।

आपको बैंक में अपनी सैलरी स्लिप और पिछले 2 या 3 साल का इनकम टैक्स रिटर्न जमा करना पड़ सकता है इसके अलावा आपको कोई आईडी प्रूफ या एड्रेस प्रूफ भी जमा करना होता है नए कारों के लिए इंटरेस्ट रेट और बाकी चार्ज पुराने कारों से अलग होता है।

8. कॉर्पोरेट लोन (Corporate Loan)

बैंक जब अमीर लोग जैसे नीरव मोदी, मुकेश अंबानी, टाटा बिरला को लोन मुहैया कराता है तो वह कॉर्पोरेट लोन कहलाता है। अभी के नियमों के अनुसार बैंक अपने कोर कैपिटल का 25% तक किसी एक बड़ी कंपनी को लोन दे सकते हैं।

तो दोस्तों आज हमने आ जाना कि भारत में बैंक और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट कितनी तरह का लोन देते हैं।

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